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Bhagambhaag Me Hang Hoti Life...

               भागमभाग में हैंग होती लाइफ...

 सेराज खान@30/01/2017
कुछ समय पूर्व तक हैंग शब्द का इस्तमाल अकसर किसी और मकसद के लिए होता था। इसके पीछे गुस्सा, निराशा, परेशानी का समावेश भी दिखता था। हैंग का कुछ अंदाजा तो आपने लगा ही लिया होगा। खबरों में आएदिन हैंंगिंग की बात पढ़ते सुनते रहते हैं। अब हैंग ने नया अवतार ले लिया है। मोबाइन कम्प्यूटर के संसार ने इसे इसका वजूद उपहार स्वरूप या सजा के तौर पर भेंट किया हैै। जबतक दिन में दो चार बार हैंग शब्द का उच्चारण न सुन लें अब दिन कटता ही नहीं। सुनने का मन न भी हो तो भी यकीन मानिए आपके जान पहचान वाले इसकी याद दिलाते ही देते होंगे। हैंग होना समस्या तो है पर यह आपकी आधुनिकता भी दर्शा ही जाता है। हैंग की समस्या से पीड़ित हैं तो समझ लीजिए आप आज के जमाने के साथ चल रहे हैं।
हैंग से मतलब मोबाइल या कम्प्यूटर के हैंग होने से ही निकालिए तो अच्छा हैै। वरना इसके कई अर्थ और भी हैं, जो कुछ के लिए आधुनिकता के परिचय बने हुए हैं। बहरहाल हैंग ने मोबाइल कम्प्यूटर से निकलकर तेज रफतार लाइफ में भी प्रवेश करना शुरू कर दिया है। तो हैंग से बचकर रहने में ही भलाई है। खुशियां तो हैंग से निजात पाकर ही मिलेगी। बहरहाल रोज की भागादौड़ी और व्यस्त दिनचर्या ने हमें लगभग हैंग का शिकार बना ही दिया है। लाइफ भी हैंग होने लगी है। पर एंटीवायरस कम ही हैं। सुबह से लेकर शाम तक इशारों पर नाचना। समझदार तो इशारे करने वालों को समझ ही सकते हैं। इशारे करने वालों को भी कोई न कोई इशारे कर ही रहा होता है। उसे भी क्या दोष दें। इनसे उपर वालों की बात ही अलग है। खैर बात हैंग की ही करते हैं। सुबह किसी आईफोन की तरह लगने वाले अच्छे भले कामकाजी इंसान की हालत तो शाम ढलते ढलते अनब्रांडेड मोबाइल की तरह हो जाती है। घर पहुंचते पहुंचते स्विच आॅफ सी स्थिति हो जाती है। इस बीच हैंग होते रहना दिनभर चलता रहता है। नेट की दुनिया में वक्त बड़ी तेजी से गुजरता महसूस हो रहा है। जैसे 4जी का डेटा पैक। लाइफ तो बस हर रोज हैंग होते होते कट रही है। इस हैंग का एंटीवायरस खोजने को लेकर शायद ही कोई विशेषज्ञ सिर  खपा रहा होगा। क्योंकि वह भी तो हैंग के अजीब कष्ट से सुरक्षित न रहता होगा।  हैंग ने हमारे जीवन में पैठ बना लिया है। रोज रोज इसका दायरा भी बढता जा रहा है। किसी की बातों को सुनकर, किसी चीज को देखकर, काम के प्रेशर से, किसी की चुगली तो किसी के ताने सुनकर हैंग होना पड़ना आम होता जा रहा है । दिक्कत बढ़ रही। एंटीवायरस नहीं मिल रहा। कई तो हैंग का उपचार बताने को लेकर हैंग हुए जा रहे हैं। ये कर लो, वो कर लो, ये किया करो, ऐसे रहा करो तमाम तरह की नसीहतें। कुछ नसीहते एवं उपाए तो ऐसे होते है जिन्हें सुनकर ही दो दिन तक हैंग होना पडता है। तो दोस्तों हैंग की समस्या बढती ही जा रही है। हैंग के लिए हम भी थोड़े जिम्मेदार तो हैं ही। चिंतन मनन की पहले ही जरूरत थी। अब वक्त निकल गया है। नवजवानों के पास अब भी समय है। अभी से एंटीवायरस तैयार करने की कोशिस करें। ताकि आगे लाइफ हैंगमुक्त आनंदमय हो।