बिना कसूर कैद
रियाज़ तनवीर शेख@31/01/2017 आसमान में उड़ने की आजादी लिए पंछी सरहदों के पार तक चले जाते है. बन्धनों से मुक्त ये हर रोज एक नयी उड़ान भरते हैं. इनकी मधुरता चचह्चाहट और खूबसूरती का ज्यादातर लोग प्रशंसक हैं. इनकी सुरीली आवाजे अब आस पास से तो गायब ही हो चुकी हैं. कुछ की आज भी सुनाई देती है. पर वो पिजरे में कैद रखकर ही सुनी जा रही है. बिना कसूर के कैदी बन बेजुबान पंछी चचह्चाहते हैं. अच्छा भी लगता. है पर इनकी चहचहाहट में आजादी की चाह हम जुबान वालो को समझ नही आती है....
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