Bache ki dastan Sunkar Aasu Aajayege

बच्चे की दास्तां-सुन कर आशु आजाएगे 
एक घर के करीब से गुज़र रहा था अचानक मुझे घर के अंदर से एक दस साला बच्चे की रोने की आवाज़ आई - आवाज़ में इतना दर्द था कि अंदर जा कर बच्चा क्यों रो रहा है यह मालूम करने से मैं खुद को रोक ना सका - अंदर जा कर मैने देखा कि माँ अपने बेटे को आहिस्ता से मारती और बच्चे के साथ खुद भी रोने लगती - मै ने आगे हो कर पूछा ऑन्टी क्यों बच्चे को मार रही हो जबकि खुद भी रोती हो..... उसने जवाब दिया बेटा आप को तो मालूम ही होगा इसके वालिद अल्लाह को प्यारे हो गए हैं और हम बहुत गरीब भी हैं ,उनके जाने के बाद मैं लोगों के घरों में मजदूरी करके घर और इसके पढ़ाई का बामुश्किल खर्च उठाती हूँ यह कमबख्त स्कूल रोज़ाना देर से जाता है और रोज़ाना घर देर से आता है - जाते हुए रास्ते मे कहीं खेल कूद में लग जाता है और पढ़ाई की तरफ ज़रा भी ध्यान नहीं देता है जिसकी वजह से रोज़ाना अपनी स्कूल की वर्दी गन्दी कर लेता है - मै ने बच्चे और उसकी माँ को थोड़ा समझाया और चल दिया.....
कुछ दिन ही बीते थे...एक दिन सुबह सुबह कुछ काम से सब्जी मंडी गया - तो अचानक मेरी नज़र उसी दस साला बच्चे पर पड़ी जो रोज़ाना घर से मार खाता था - क्या देखता हूँ कि वह बच्चा मंडी में घूम रहा है और जो दुकानदार अपनी दुकानों के लिए सब्ज़ी खरीद कर अपनी बोरियों में डालते तो उनसे कोई सब्ज़ी ज़मीन पर गिर जाती वह बच्चा उसे फौरन उठा कर अपनी झोली में डाल लेता - मै यह माजरा देख कर परेशानी में मुब्तिला हो रहा था कि चक्कर क्या है - मै उस बच्चे को चोरी चोरी फॉलो करने लगा - जब उसकी झोली सब्ज़ी से भर गई तो वह सड़क के किनारे बैठ कर उसे ऊंची ऊंची आवाज़ें लगा कर बेचने लगा - मुंह पर मिट्टी गन्दी वर्दी और आंखों में नमी , ऐसा महसूस हो रहा था कि ऐसा दुकानदार ज़िन्दगी में पहली बार देख रहा हूँ कि अचानक एक आदमी अपनी दुकान से उठा जिसकी दुकान के सामने उस बच्चे ने अपनी नन्ही सी दुकान लगाई थी , उसने आते ही एक जोरदार लात मार कर उस नन्ही दुकान को एक ही झटके में रोड पर बिखेर दिया और बाज़ुओं से पकड़ कर उस बच्चे को भी उठा कर धक्का दे दिया - वह बच्चा आंखों में आंसू लिए चुप चाप दोबारा अपनी सब्ज़ी को इकठ्ठा करने लगा और थोड़ी देर बाद अपनी सब्ज़ी एक दूसरे दुकान के सामने डरते डरते लगा ली - भला हो उस शख्स का जिसकी दुकान के सामने इस बार उसने अपनी नन्ही दुकान लगाई उस शख्स ने बच्चे को कुछ नहीं कहा - थोड़ी सी सब्ज़ी थी ऊपर से बकिया दुकानों से कम कीमत - जल्द ही फरोख्त हो गयी - और वह बच्चा उठा और बाज़ार में एक कपड़े वाली दुकान में दाखिल हुआ और दुकानदार को वह पैसे देकर दुकान में पड़ा अपना स्कूल बैग उठाया और बिना कुछ कहे वापस स्कूल की जानिब चल पड़ा - और मैं भी उसके पीछे पीछे चल रहा था - बच्चे ने रास्ते में अपना मुंह धोकर स्कूल चल दिया - मै भी उसके पीछे स्कूल चला गया - जब वह बच्चा स्कूल गया तो एक घंटा लेट हो चुका था - जिस पर उसके उस्ताद ने डंडे से उसे खूब मारा - मैने जल्दी से जाकर उस्ताद को मना किया कि यतीम बच्चा है इसे मत मारो - उस्ताद कहने लगे कि बेटा यह रोज़ाना एक डेढ़ घण्टे लेट से ही आता है मै रोज़ाना इसे सज़ा देता हूँ कि डर से स्कूल वक़्त पर आए और कई बार मै इसके घर पर पैग़ाम भी दे चुका हूं - खैर बच्चा मार खाने के बाद क्लास में बैठ कर पढ़ने लगा - मैने उसके उस्ताद का मोबाइल नम्बर लिया और घर की तरफ चल दिया घर पहुंच कर एहसास हुआ कि जिस काम के लिए सब्ज़ी मंडी गया था वह तो भूल ही गया - हस्बे मामूल बच्चे ने घर आ कर माँ से एक बार फिर मार खाई - सारी रात मेरा सर चकराता रहा  - सुबह उठकर फजर की नमाज़ अदा की और फौरन बच्चे के उस्ताद को कॉल की कि मंडी टाइम हर हालत में मंडी पहुंचें - जिस पर मुझे मुसबत जवाब मिला - सूरज निकला और बच्चे का स्कूल जाने का वक़्त हुवा और बच्चा घर से सीधा मंडी अपनी नन्ही दुकान का बन्दोबसत करने निकला - मै ने उसके घर जाकर उसकी वालिदह को कहा कि ऑन्टी मेरे साथ चलो मै तुम्हे बताता हूँ आप का बेटा स्कूल क्यों देर से जाता है - वह फौरन मेरे साथ मुंह मे यह कहते हुए चल पड़ीं कि आज उस लड़के की मेरे हाथों खैर नही - छोडूंगी नहीं उसे आज -  मंडी में लड़के का उस्ताद भी आ चुका था - हम तीनों ने मंडी की तीन मुख्तलिफ जगहों पर पोजीशन संभाल ली - और उस लड़के को छुप कर देखने लगे - हस्बेमामूल आज भी उसे काफी लोगों से डांट फटकार और धक्के खाने पड़े - और आखिरकार वह लड़का अपनी सब्ज़ी बेच कर कपड़े वाली दुकान पर चल दिया... अचानक मेरी नज़र उसकी माँ पर पड़ी तो क्या देखता हूँ कि - बहुत ही दर्द भरी सिसकियां लेकर ज़ारोकतार रो रही थी - और मै ने फौरन उसके उस्ताद की तरफ देखा तो बहुत शिद्दत से उसके आंसू बह रहे थे - दोनो के रोने में मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उन्हों ने किसी मज़लूम पर बहुत ज़ुल्म किया हो और आज उन को अपनी गलती का एहसास हो रहा हो - उसकी माँ रोते रोते घर चली गयी और उस्ताद भी सिसकियां लेते हुए स्कूल चला गया - हस्बे मामूल बच्चे ने दुकानदार को पैसे दिए और आज उसको दुकानदार ने एक लेडी सूट देते हुए कहा कि बेटा आज सूट के सारे पैसे पूरे हो गए हैं - अपना सूट लेलो - बच्चे ने उस सूट को पकड़ कर स्कूल बैग में रखा और स्कूल चला गया - आज भी एक घंटा लेट था वह सीधा उस्ताद के पास गया और बैग डेस्क पर रखकर मार खाने के लिए पोजीशन संभाल ली और हाथ आगे बढ़ा दिए कि उस्ताद डंडे से उसे मार ले - उस्ताद कुर्सी से उठा और फौरन बच्चे को गले लगाकर इस क़दर ज़ोर से रोया कि मैं भी देख कर अपने आंसुओं पर क़ाबू ना रख सका - मै ने अपने आप को संभाला और आगे बढ़कर उस्ताद को चुप कराया और बच्चे से पूछा कि यह जो बैग में सूट है वह किसके लिए है - बच्चे ने रोते हुए जवाब दिया कि मेरी माँ अमीर लोगों के घरों में मजदूरी करने जाती है और उसके कपड़े फटे हुए होते हैं कोई कोई जिस्म को मोकम्मल ढांपने वाला सूट नहीं और और हमारे माँ के पास पैसे नही हैं इसलिये इस ईद पर अपने माँ के लिए यह सूट खरीदा है - तो यह सूट अब घर ले जाकर माँ को आज दोगे ??? मैने बच्चे से सवाल पूछा.... जवाब ने मेरे और उस बच्चे के उस्ताद के पैरों के नीचे से ज़मीन ही निकाल दी.... बच्चे ने जवाब दिया नहीं अंकल छुट्टी के बाद मैं इसे दर्जी को सिलाई के लिए देदूँगा - रोज़ाना स्कूल से जाने के बाद काम करके थोड़े थोड़े पैसे सिलाई के लिए दर्जी के पास जमा किये हैं.... उस्ताद और मैं सोच कर रोते जा रहे थे कि आखिर कब तक हमारे समाज में गरीबों और बेवाओं के साथ ऐसा होता रहेगा उन के बच्चे ईद जैसी खुशियों में शामिल होने के लिए जलते रहेंगे आखिर कब तक! क्या अल्लाह के अता करदा नेमतों में इन जैसे गरीब बेवाओं यतीमों का कोई हक नहीं!! क्या हम चन्द रुपयों का फितरा निकाल कर अपने समाज मे मौजूद गरीब यतीम और बेवाओं के हक़ से बरिउज़्ज़िमा हो जाते हैं!!!
क्या हम अपनी खुशियों के मौके पर अपनी फालतू ख्वाहिशों में से थोड़े पैसे, थोड़ी खुशियां उनके साथ शेयर नहीं कर सकते?!!!
सोचना ज़रूर!!!

और हाँ हो सके तो शेयर भी करदेना हो सकता है इस छोटी सी कोशिश से किसी के दिल मे गरीबों से हमदर्दी का जज़्बा जाग जाये और इस ईद पर आप का यह शेयर  किसी गरीब , के घर की खुशियों की वजह बन जाये।
और भी पड़े हमारे ब्लॉग क्लीक करे https://humlog01.blogspot.in/

Alvida Mahe Ramazan

अलविदा अलविदा ऐ" माहे रमजान"  
 
अब वक़्त-ए-जुदाई है मुझे अलविदा कह दो। 💞💞

💞💞       अब जाने का वक़्त है मुझे अलविदा कह दो। 💞💞

💞💞        मैं बख्शिश का जरिया था तुम्हारे लिए। 💞💞

💞💞       दिल रो रहा है मगर अब अलविदा कह दो। 💞💞

💞💞         तुम्हें अफ़सोस तो होंगा मेरे जाने पर। 💞💞

💞💞        आऊंगा लौट के फिर अब अलविदा कह दो। 💞💞

💞💞        तुम्हारे लिए रेहमत की वजह,
तुम्हारी बख्शिश का सबब। 💞💞

💞💞       करलो खुदा को राज़ी तो मुझे अब अलविदा कहे दो। 💞💞

💞💞        मेने तुम्हे चलना सिखा दिया।
मंज़िलों का पता बता दिया। 💞💞

💞💞        में न चल सकूँगा तुम्हारे साथ अब अलविदा कह दो। 💞💞

💞💞      अलविदा अलविदा ऐ" माहे रमजान" अलविदा। 💞💞

G.S.T Story Hindi Me

 हलक से पैसा निकालना...
 एक लड़का 2 रुपये का सिक्का उछाल कर दांतों से पकड़ने का मुज़ाहिरा कर रहा था. आखिरी मर्तबा जब उसने ये हरकत की तो सिक्का उसकी हलक में चला जाता है और उसका दम घुटना शुरू हो जाता है उसके माता पिता मदद के लिए चिल्लाना शुरू कर देते हैं .... उनकी आवाज़ सुनके कुरता पजामा और ऊपर से सदरी पहने एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति लड़के के पास आया, और लड़के की गर्दन पकड़ के पहले आराम से और फिर ज़ोर ज़ोर से थपकी दी.....लड़के ने खांसते खांसते उलटी कर दी और सिक्का हलक से बाहर आ गया .....
लड़के के माता पिता की आँखों में ख़ुशी के आंसू आ गए और पिता ने अपने लड़के को गले लगाते हुए उस मदद करने वाले को निहायत ही एहतिराम से देखा और बोला
"ऐ रहमत के फ़रिश्ते क्या आप डॉक्टर हैं?"
तो उन्होंने जवाब दिया -
" नहीं भाई, मैं भारत का वित्तमंत्री  जेटली हूँ और ये सब मेरी ट्रेनिंग का हिस्सा है कि किस तरह  अवाम के हलक से पैसा निकालना है ।"

Network Or Pyar Ke Bina Chain Kaha Re.....

नेटवर्क बिना चैन कहां रे...
@S.Khan June 22, 2017

प्यार बिना चैन कहां रे... प्यार बिना चैन कहां रे... कभी ये गीत बहुत मशहूर हुआ था। उस दौर में इस गीत के तो युवा खूब दीवाने थे। आज भी सुनने में ये गीत कानों को बड़ा प्रिय लगता है। पर, अब जमाना नए किस्म के यंगस्टर्स का है। या यूं भी कह सकते हैं कि ये टेक्नोप्रेमी जनरेशन है। ऊपर जो गीत की पंक्ति लिखी है, वो आज बनती तो शायद ऐसी होती कि ...नेटवर्क बिना चैन कहां रे... नेटवर्क बिना चैन कहां रे...। सुबह उठकर नाश्ता मिले चाहे नहीं सबसे पहले ये नेटवर्क ही चेक करते हैं। बिना नेटवर्क के तो जैसे सब सून ही महसूस होता है। नेटवर्क है, तो चेहरे पर मुस्कान और गला थोड़ा नीचे की तरफ झुका मिलता है। फिर नजरें भी इधर उधर नहीं फिरा करती। क्या तहजीब है, नजरें, गर्दन सब झुकी झुकीं हुईं। अक्सर लोग बच्चों से नजरें झुकाकर चलने को बतौर अच्छा तहजीब समझाया करते थे। अब शायद कम ही समझाना पड़ता होगा। नेटवर्क तो अब धीरे-धीरे बुनियादी जरूरत जैसी बनती जा रही है। बिजली, पानी, सड़क की तरह ही आज हर तरफ नेटवर्क की उपलब्धता  जरूरी होती जा रही है। कुछ सेकंड के लिए भी नेटवर्क गायब हुआ तो चेहरे पर शिकन बनने लगती है। मुस्कुराता हुआ चेहरा भी टेंशनमय सा दिखने लगता है। नेटवर्क के चकाचक रहने पर तो पूछिये ही मत। लुंगी में भी #हाय गाइस #हेलो फ्रेंड्स #थैंक्स ब्रो जैसे ही शब्द निकलते हैं। स्पेलिंग दुरुस्त रहे इसकी भी झन्झट अब नहीं ही है। कौन सा कि शब्द पूरा लिखना होता है, जितनी टूटी फूटी लिखो उतना ही अच्छा। उतना ही मस्त। वाक्य पर भी यही ट्रेंड काम करता प्रतीत होता है। रही सही बातें इमोजी या स्टिकर्स से पूरी कर ली जाती हैं। टीनेजर्स के जुबानी बातों का क्रेज़ थोड़ा कम नजर आता है। जिन शब्दों का उपयोग बढ़ रहा है, मैं तो उन्हें ई-शब्द ही कहता हूं। ई-शब्द युवाओं की जज्बातों को शायद ठीक से व्यक्त कर रहे हों। वाट्सएप, एफबी, ट्विटर पर ऐसे शब्द खूब पाए जाते हैं। ई-शब्दों का ट्रेंड है। जिसे टीनेजर्स भलीभांति जानते और समझते हैं। लेकिन, अच्छा नेटवर्क नहीं तो इनकी जुबान बन्द, और नेटवर्क फुल तो एक पल में 4 सौ लोगों तक को #हेलो... एक बार में ही बोल देते हैं। सब नेटवर्क का ही कमाल है। बड़े शहरों में हमेशा अच्छा तो छोटे शहरों में भी अब ठीक-ठाक ही नेटवर्क रहता। कस्बों में बीच-बीच में गायब होने वाला तो गांवों में किस्मत भरोसे ही अच्छा नेटवर्क मिलता है। खासकर 4G वाला नेटवर्क। इससे कम का ट्रेंड तो अब #यंग गाइज, के बीच रह नहीं  गया है। जहां नेटवर्क अच्छा है। वहां तो सब ठीक है। हर बात पर ##यो-यो मार्का फोटो अपलोड हो जाते हैं। कोई दिक्कत नहीं आती। पर, देहात में तो अब भी कई दफा नेटवर्क तलाश करनी पड़ती है। हाथ उठाकर नेटवर्क को मनाना या छत पर जाकर नेटवर्क को बुलाना ये बात गुजरे जमाने की हो गई है। बाइक चश्मे से लैस रहने वाले टीनेजर्स तो नेटवर्क से कोई समझौता नहीं करते। नेटवर्क ढूंढकर ही दम लेते हैं। इसके लिए भले ही गांव से दूर 4G वाले टावर तक ही क्यों न जाना पड़े। वो ख़ुशी ख़ुशी जाते हैं। जहां बढ़िया नेटवर्क मिलता हो और बैठकी की भी व्यवस्था हो, फिर तो सोने पे सुहागा जैसा ही हो जाता है। फिर तो बैठकी के आसपास की दीवारों पर प्लास्टर या रंग की जरूरत भी नहीं पड़ती। चुनाखली तो भूल ही जाइए। इन दीवारों पर बड़ी मुश्किल से ही चढ़ पाएगी। क्या कहना चाहता हूं, आप समझ तो गए ही होंगे। नेटवर्क की और ज्यादा महिमा क्या लिखूं। मेरा नेटवर्क ही चला गया। ##बाय गाइज@। ब्लॉग पर आते रहिएगा...।

Dedicated to all beautiful ladies

Dedicated to all married girls .....
 
बेटी जब शादी के मंडप से...
ससुराल जाती है तब .....
पराई नहीं लगती.
मगर ......      
जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टंगे टाविल के बजाय अपने बैग से छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है. 

जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है. 

जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है. 

जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है. 

जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है.

जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है.

जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है..... 

और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है.

लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद 
जब वह चुपके से 
अपनी आखें छुपा के सुखाने की कोशिश करती । तो वह परायापन एक झटके में बह जाता तब वो पराई सी लगती
नहीं चाहिए हिस्सा भइया
मेरा मायका सजाए रखना

कुछ ना देना मुझको 
बस प्यार बनाए रखना
पापा के इस घर में 
मेरी याद बसाए रखना

बच्चों के मन में मेरा
मान बनाए रखना
बेटी हूँ सदा इस घर की
ये सम्मान सजाये रखना।

Dedicated to all married girls .....

बेटी से माँ का सफ़र  (बहुत खूबसूरत पंक्तिया , सभी महिलाओ को समर्पित)

बेटी से माँ का सफ़र 
बेफिक्री से फिकर का सफ़र
रोने से चुप कराने का सफ़र
उत्सुकत्ता से संयम का सफ़र

पहले जो आँचल में छुप जाया करती थी  ।
आज किसी को आँचल में छुपा लेती हैं ।

पहले जो ऊँगली पे गरम लगने से घर को सर पे उठाया करती थी ।
आज हाथ जल जाने पर भी खाना बनाया करती हैं ।
 
पहले जो छोटी छोटी बातों पे रो जाया करती थी
आज बो बड़ी बड़ी बातों को मन में  छुपाया करती हैं ।

पहले भाई,,दोस्तों से लड़ लिया करती थी ।
आज उनसे बात करने को भी तरस जाती हैं ।

माँ,माँ  कह कर पूरे घर में उछला करती थी ।
आज माँ सुन के धीरे से मुस्कुराया करती हैं ।

10 बजे उठने पर भी जल्दी उठ जाना होता था ।
आज 7 बजे उठने पर भी 
लेट हो जाया करती हैं ।

खुद के शौक पूरे करते करते ही साल गुजर जाता था ।
आज खुद के लिए एक कपडा लेने को तरस जाया करती है ।

पूरे दिन फ्री होके भी बिजी बताया करती थी ।
अब पूरे दिन काम करके भी काम चोर
कहलाया करती हैं ।

 एक एग्जाम के लिए पूरे साल पढ़ा करती थी।
अब हर दिन बिना तैयारी के एग्जाम दिया करती हैं ।

ना जाने कब किसी की बेटी 
किसी की माँ बन गई ।
कब बेटी से माँ के सफ़र में तब्दील हो गई .....
Share with your friends
बेटी है तो कल हे।

10th 12th supplementary admit card 2017-18

10th 12th Supplementary  का टाइम टेबल तो आ चूका है
MP Board 10th Supplementary Admit Card 2017 – Madhya Pradesh: 10th class is important in the educational career of the student because it could act as a step towards the further education so to move further steps the degree/certificate of the SSC (Class X) is mandatory in so many cases, the students who already have written Regular examinations and when Results were out the had failed in one or more subjects, now to overcome that failure they to pass that subject or those subjects in this attempt which is called as ‘Supplementary/Compartment/ Reappear/Re-Exam/Re-Attempt‘ etc. This exam is not delayed too much, within a short period of time of the announcement of Results this supply exam is being held.

If you were looking for the dates, when the Admit card will be released, then please know that the Board hasn’t yet confirmed any official details so we can just expect from the MPBSE than they could be made it available before a week or two. Additionally, we would recommend you and strongly suggest you carry your original admit card to the exam venue, the duplicates or prints you get may not be accepted in the exam hall or venue based on school. When you get the Hall ticket or Admit card please read all the instructions available there carefully and follow the best and do reach exam venue on time,  or before time.

Information On MP Board 10th Supplementary Admit Card 2017

  • Authority Conducting the Exams: Madhya Pradesh Board of Secondary Education (MPBSE)
  • Name of the Examination: MP Board 10th Class Supplementary Exams 2017
  • Examination Dates: Updated Later
  • Date for Release of MPBSE 10th/HSC Supply Admit Card: Mostly Expected Before 5-10 days of Exams
  • Official website(s): mpbse.nic.in | Next Year: MP Board 10th Admit Card 2018
With the final note we are telling you to ask your doubts and queries related to MP 10th Supplementary Admit cards or MPBSE 10th Supply Roll No/Hall Ticket/Admit Card 2017 and about your further education of MP Board 12th classes etc. as your comments are welcome and try to help others also through the comments section, and to get MP 10th Class Supply information you can bookmark our website and check it on regular basis as we update the Madhya Pradesh Board of Secondary Education 10th Results updates also. It’s still time remaining to study, go and study and do your best; we say ‘all the best’ to everyone appearing for the exams and don’t lose your hopes and try your level best. Share this website mp.allresultsnic.in with your friends also. Kindly note that The Download of Compartmental Admit Card available if the board allows. Upcoming year: Madhya Pradesh MPBSE HSC/10th Admit Card 2018.

Poor People V/s Education

गरीबी और एजुकेशन -
Add caption
@Riyaz Tanveer Sheikh
क्या है गरीबी ? गरीब वो नहीं जिसके पास पैसा नहीं , आज तो सबसे बड़ा गरीब वो है जिसके पास शिक्षा नहीं , इस बढ़ती हाईटेक दुनिया में आज जिसके पास शिक्षा नहीं है वो भी गरीब है , क्यों की टेक्नोलोजी की इस  दुनिया में वह बिना  शिक्षा के शून्य  है ,  इस हाईटेक दुनिया में जहा मशीने व  मानव जैसे रोबोट  कार्य को अंजाम देते है जो की मानव की जगह दिन - प्रतिदिन लेते जा रहे है मानव के लिए यह चिंता का विषय है आज के इस वक़्त में शिक्षा को पूरी तरह से पाना मानव जाती के लिए बहुत जरुरी हो गया है आने वाले कुछ वर्षो बाद जो अनपढ़ है या जिसके पास पर्याप्त शिक्षा नहीं है उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ेगा क्यों  की बिना शिक्षा के वह अधूरा रह जायेगा उधोगो , फैक्ट्रियो , में काम मिलना मुश्किल हो जायेगा
में यह नहीं कह रहा की जिसके पास शिक्षा नहीं है वह रोजगार प्राप्त नहीं कर रहा , अगर देखा जाये तो भारत व कई देश एवं राज्य ऐसे है जहा के  युवाओ के पास पर्याप्त मात्रा में शिक्षा हासिल है , लेकिन उस युवा पीढ़ी के पास रोजगार नहीं है वह बेरोजगार की मार झेल रहे  है ,  इसका मुख्य कारण जनसँख्या  में लगातार वृद्धि के कारण और आधुनिक मशीनों के आजाने से यह परेशानी उत्पन्न हुयी है इसके जिम्मेदार हम भी है

 लेकिन शिक्षा पाना हमारा अपना हक़ है इसे हासिल करे बिना  नहीं रहना चाहिए शिक्षा एक ऐसा धन है जो लगातार बढ़ता है बस इसका  इस्तेमाल करने का हुनर होना चाहिए !
अधिक पड़ने के लिए क्लिक करे - https://humlog01.blogspot.in/

Tubelight Ki story Hindi Me

सुना है #Tubelight आ रही है क्या है ट्यूब लाइट की स्टोरी जाने-

@रियाज़ तनवीर शेख -
भारत में टयूब लाइट हर जगह बस ट्यूब लाइट की चर्चा देखने को मिल रही बाजारों में तहर तहर की काहवाते सुनने को मिल रही है  अगर  आप सुनो गे तो आप भी हसोगे सुनने को मिल रहा है की पहले शाहरुख़ खान ने फैंन  लाया , अब सलमान खान ट्यूब लाइट ला रहा और अब देखना आमिर खान बिजली का बिल लेकर  आएगा चलो है तो होगयी हसी मजाक की बात।  
अब बात करते है भारत के गावो की - 
आज भी भारत के बहुत सारे गांव ऐसे  है जहा पर बिजली का नामो निशान नहीं है 
वहां पर  ट्यूब लाइट की रौशनी तो दूर की बात सी.एफ.एल. को नहीं पहचानते 
फ़िल्मी दुनिया में फिल्मो के नाम ऐसे रहते गांव वालो की याद दिला देते ऐसे गांव में क्या सलमान  खान को पहचानते होंगे ? क्या  वहा पर भी ट्यूब  लाइट पर चर्चा हो रही होगी ? 
भारत में ट्यूब  लाइट फिल्म आरही है तो कितनी चर्चा हो रही है क्या इस बात पर भी कोई चर्चा करेगा की वे  गांव जहा पर बिजली नहीं वहा पर ट्यूब लाइट कैसे दिखेगी , इसके लिए क्या कदम उठाना चाहिए जिस गांव में बिजली नहीं उस गांव को कैसे रोशन करना चाहिए क्युकी वे गांव भी हमारे भारत के उन गांव को सुविधा दिलवाना भी हर भारतीय की जिम्मेदारी है।
फिल्म सिटी  को भी  गावो  के विकास के लिए आगे आना चाहिए।
#SALMAN_KHAN , #FilmCity , #Tubelight , Indian_Village , #Shahrukha_Khan, Aamir_khan, #Electricity